Guldasta
मेरा परिचय
के
मै एक गुलदस्ता हूँ।
थोड़ा अजीब दिखता हूँ ,
पर फिर भी गुलदस्ता हूँ।
ज़रा गर्दन कमज़ोर है,
लिपटी हुई डोर हैं,
ज़िम्मेदारीयां पुरज़ोर हैं,
पैरों पर ज़ोर हैं,
हाँ माना दिखता सस्ता हूँ,
मगर फिर भी गुलदस्ता हूँ।
तुम मानोगे नहीं...
मीलों दूर से बुला लेता था,
अच्छा हो या बुरा,
सबको फुसला लेता था।
मेरे साथ खड़ा होना चाहते थे सब,
बच्चे बूढ़े जवान सब।
ये फूल जो हैं...
ये मेरे फूल भी मेहका करते थे,
ये जो सोये पड़े हैं,
कभी चहका करते थे।
मेरा शरीर भी कभी दमका करता था,
आज तो धूल जमी है,
कभी ये भी चमका करता था।
मै बुलाता गया वो आते गए।
कुछ तोड़ते गए, कुछ गिराते गए।
ले देके कुछ काटें बचे हैं, जिन्हें मैं किसी को नहीं दूँगा।
इतनी कट गयी थोड़ी और बची है, काट लूँगा।
कभी इसके हाथ कभी उसके हाथ,
कई बार लुट चुका हूँ।
नाज़ुक हूँ भाई, थोड़ा संभाल कर रखना,
के
मैं कई बार टूट चुका हूँ।
मैं कई बार टूट चुका हूँ।
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